कार्तिकेय-गणेश समेत सात संतानों के माता-पिता थे शिव-पार्वती
महादेव भगवान शंकर और मां पार्वती की कुल सात संतानें थीं, लेकिन अधिकांश जगह सिर्फ तीन का ही विवरण मिलता है. मगर शिवजी के एक पुत्री और सात पुत्र समेत आठ संतान थीं. आइए कौन-कौन था महादेव का अंश.
भगवान शिव की पहली पत्नी राजा दक्ष की पुत्री सती थीं, लेकिन एक यत्र में पिता की ओर से पति को आमंत्रित नहीं किए जाने के अपमान से आहत होकर उन्होंने यज्ञ में कूद कर जान दे दी थी. इन दोनों की कोई संतान नहीं थी. इसके बाद शिवजी का विवाह हिमालय राज की पुत्री पार्वती से हुआ. इन दोनों के बड़े बेटे कार्तिकेय और दूसरे पुत्र श्री गणेश थे. कहा जाता है कि गणेश जी को खुद पार्वती जी ने उबटन से बनाया था.
अयप्पा
शिवजी के तीसरे पुत्र, जिनकी आज भी पूरे दक्षिण भारत में विशेष महत्ता है. तमिलनाडु में भक्त इन्हें भगवान अयप्पा या भगवान अय्यंगर के नाम से भी पुकारते हैं. ये शिवजी और भगवान विष्णु के स्त्री अवतार मोहिनी के पुत्र थे.
भौमा
भौमाजी शिवजी के चौथे पुत्र थे. मान्यता है कि भौमाजी शिवजी के ‘पसीने’ से पैदा हुए थे. पौराणिक कथा अनुसार कठोर तपस्या में लीन शिवजी के पसीने की बूंद धरती पर गिरा, चूंकि तक शिवजी घोर तपस्या में लीन थे, इसलिए भूमि देवी ने खुद उनके इस पुत्र का पालन-पोषण किया. इसी तरह उनके पांचवे पुत्र अधंक बताए गए हैं, लेकिन इनका विशेष उल्लेख कहीं नहीं है.
जालंधर
भगवान शिव का ही अंश जालंधर को बताया जाता है. भागवत पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया, इससे जालंधर उत्पन्न हुए.
पुत्री अशोक सुंदरी
शिवजी की पुत्री का नाम अशोक सुंदरी था. कहा जाता है कि मां पार्वती ने शिवजी के तपस्या में रहने के चलते अपने अकेलेपन को खत्म करने के लिए अशोक सुंदरी पुत्री का निर्माण किया था.
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