भगवान शंकर भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं

भगवान शंकर भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं . इसी कारण उन्हें ' आशुतोष ' भी कहा जाता है . वैसे तो धर्मग्रंथों में भोलेनाथ की कई स्तुतियां हैं , पर श्रीरामचरितमानस का ' रुद्राष्टकम ' अपने - आप में बेजोड़ है . ' रुद्राष्टकम ' केवल गाने के लिहाज से ही नहीं , बल्कि भाव के नजरिए से भी एकदम मधुर है . यही वजह है शिव के आराधक इसे याद रखते हैं और पूजा के समय सस्वर पाठ करते हैं . ' रुद्राष्टकम ' और इसका भावार्थ आगे दिया गया है ... नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥ निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥ ( हे मोक्षरूप , विभु , व्यापक ब्रह्म , वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी , मैं आपको नमस्कार करता हूं . निज स्वरूप में स्थित , भेद रहित , इच्छा रहित , चेतन , आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं .) निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञ...