आखिर प्यार क्या होता है ?

प्यार को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता और ना ही इसकी कोई परिभाषा है। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ये तो एक ऐसा खूबसूरत  एहसास है जो दो लोगो को बहुत गहराई से आपस में जोड़ता है। ये एक ऐसा बंधन है जो दो लोगों को रूह की गहराई से बांध देता है। प्यार आसानी से किसी से हो तो सकता है पर आसानी से ख़त्म नहीं हो सकता। प्यार को सिर्फ वो महसूस कर सकता है जो सच में किसी से सच्चा प्यार करता है। प्यार की कोई भाषा नहीं होती है। ये शब्दविहीन  होता है। प्यार सिर्फ दिल की आवाज सुनता है। दिल की धड़कनों को महसूस करता है।  प्यार एक समर्पण है जिसमे इंसान अपने प्यार के लिए पूरी तरह समर्पित हो जाता है, प्यार एक ऐसा त्याग है जिसमे इंसान प्यार के लिए दुनिया की सारी दौलत को ठुकरा देता है, प्यार एक ऐसी तपस्या है जिसमे इंसान अपनी सारी खुशियां, अपने सारे ऐशो आराम अपने प्यार के लिए कुर्बान कर देता है।

प्यार में वो शक्ति होती होती है कि जब किसी से प्यार हो जाता है तो इंसान सात समंदर पार से चला आता है अपने प्यार के पास, प्यार में वो ताकत होती है कि इंसान दुनिया बनायीं तमाम बंदिशों को तोड़ देता है, प्यार के लिए सारी दुनिया से लड़ सकता है।
प्यार का दायरा बहुत बड़ा होता है। प्यार सिर्फ प्रेमी प्रेमिकाओं तक सीमित नहीं है। प्यार किसी भी इंसान को किसी के भी प्रति हो सकता है। प्यार किसी को भी, किसी से भी, किसी भी उम्र में और कहीं पर भी हो सकता है। प्यार धर्म, जाति, रंग, रूप, अमीरी, गरीबी से बहुत दूर होता है। सच्चे प्यार में इन चीजों की कहीं पर भी जगह नहीं होती है। प्यार तो बस प्यार है। ये तो बस हो जाता है।  प्यार इंसान की सोच को सकारात्मक बना देता है। प्यार में इंसान बेवजह खुश हो जाता है, बिना किसी बात पर मुस्कुरा देता है। प्यार इंसान को जिंदादिल बना देता है। प्यार इंसान को जिम्मेदार बनाता है। प्यार इंसान की जिन्दगी में खुशियाँ लेकर आता है। प्यार में हर एक चीज खूबसूरत  लगती है। प्यार जिंदगी को जीने का नजरिया बदल देता है और एक खुशहाल जीवन जीने  का जज्बा देता है। अपनों से दूर रहते हुए भी अगर किसी का प्यार साथ हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बड़ी आसानी से सुलझ जाती हैं। प्यार इंसान को जिंदगी के मायने सिखा देता है। प्यार में वो ताकत होती है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है। इंसान चाहे कितनी भी दौलत कमा ले, चाहे कितना भी अमीर बन जाये अगर उसकी जिन्दगी में सच्चा प्यार नहीं है तो वह कभी खुश नहीं रह सकता।

क्यों होता है प्यार?


मान कर चलो कि आपने पहली बार किसी छोटे से बच्चे को देखा, आपने उससे बात करने की कोशिश की और उसने तोतली आवाज में आपसे कुछ कहा।  अब अगर आपको उसकी तोतली बात समझ में भी नहीं आई होगी तब भी आपको उसकी तोतली बात अच्छी लगेगी और उसकी प्यारी सी मुस्कान आपके चेहरे पर भी मुस्कान ला देगी और आपको उस बच्चे से लगाव हो जायेगा। फिर आप रोजाना कोशिश करेंगे कि आप उसकी तोतली आवाज में कुछ सुने क्योंकि ये आपको पसंद है आपको अच्छा लगता है। बस ये लगाव ही तो वो जुड़ाव है जो आप अपने से महसूस करते हैं जो धीरे धीरे ये प्यार में बदल जाता है।

इंसान  का स्वभाव ही ऐसा है कि अगर उसे कहीं पर कोई चीज पसंद जाये या उसे कही पर थोड़ा सा अपनापन महसूस हो तो वह उसकी ओर आकर्षित हो जाता है और फिर धीरे धीरे यही आर्कषण लगाव बन जाता है और फिर धीरे धीरे प्यार में बदल जाता है। हमारे साथ भी ऐसा होता है कि हमे भी किसी का चेहरा पसंद होता है तो किसी का स्टाइल।  किसी की आँखे पसंद आ जाती हैं  तो किसी के होठ।  किसी का बात करने का तरीका अच्छा लगता है तो किसी का व्यवहार। किसी के गुण हमें बहुत पसंद आते है तो किसी का साथ।  जब हमें किसी इंसान में कोई चीज पसंद आती है तो हम अपने आप ही अपने आपको उससे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। कभी वक्त और दूसरी जिम्मेदारियों  के कारण ये जुड़ाव खत्म हो जाता है तो कभी  कभी बहुत बढ़ जाता है जो धीरे – धीरे प्यार में बदल जाता है। और फिर हमें उसकी आदत सी हो जाती है। और कभी कभी ये आदत दीवानगी बनकर  हद से भी गुजर जाती है।





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